
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में प्रशासनिक महकमे को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। जिलाधिकारी आवास और उससे जुड़ी 58.14 एकड़ सरकारी जमीन सरकारी रिकॉर्ड से गायब पाई गई है। यह खुलासा तब हुआ जब वर्तमान जिलाधिकारी को दस्तावेजों की जांच के दौरान अनियमितता की जानकारी मिली।
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DM ने दिए एफआईआर के आदेश
जैसे ही मामला सामने आया, जिलाधिकारी ने तत्काल FIR दर्ज कराने के आदेश दिए। जांच में पाया गया कि एसडीएम सदर PCS सुक्रमा प्रसाद विश्वकर्मा, जिन्होंने वर्ष 2004 से 2007 तक सदर तहसील में कार्य किया था, उन्होंने भूमि रिकॉर्ड में फर्जी एंट्री और जालसाजी करके सरकारी जमीन को निजी नामों में दर्ज किया।
इन अधिकारियों पर दर्ज हुआ केस
हमीरपुर पुलिस ने निम्नलिखित अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया है:
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PCS विजय कुमार गुप्ता (तत्कालीन SDM)
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ज्ञानेंद्र सिंह (तत्कालीन नायब तहसीलदार)
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तहसीलदार
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सदर लेखपाल
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सहित कुल 13 आरोपी
कैसे हुआ जमीन का फर्जी हस्तांतरण?
शुरुआती जांच में पता चला है कि राजस्व रिकॉर्ड में नकली अभिलेख तैयार कर जमीन को एक निजी व्यक्ति के नाम पर चढ़ा दिया गया। इस जालसाजी की प्रक्रिया में कई स्तर के अधिकारियों की संलिप्तता पाई गई है।
प्रशासन में हड़कंप, उच्च स्तरीय जांच शुरू
इस खुलासे के बाद हमीरपुर प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। शासन स्तर से भी इस मामले की विस्तृत जांच के आदेश जारी हो चुके हैं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई के संकेत दिए गए हैं।
हमीरपुर में सामने आया यह जमीन घोटाला दर्शाता है कि प्रशासनिक स्तर पर भी भ्रष्टाचार किस हद तक पहुंच सकता है। यह मामला न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है बल्कि जवाबदेही और पारदर्शिता की तत्काल जरूरत को भी रेखांकित करता है।
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